रुड़की नगर निगम के महापौर गौरव गोयल को लगा झटका, भाजपा ने छह साल के लिए पार्टी से निकाला

रुड़की नगर निगम के महापौर गौरव गोयल को लगा झटका, भाजपा ने छह साल के लिए पार्टी से निकाला

रुड़की नगर निगम के महापौर गौरव गोयल को लगा झटका

रुड़की नगर निगम के महापौर गौरव गोयल को लगा झटका, भाजपा ने छह साल के लिए पार्टी से निकाला

रुड़की के मेयर गौरव गोयल को भाजपा ने पार्टी की गतिविधियों एवं रीतिनीति से हटकर किए जा रहे कार्यों का हवाला देते हुए छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष की ओर से जारी पत्र में चार प्रमुख कारण बताए गए हैं। इनमें 25 लाख की रिश्वत प्रकरण में चल रही पुलिस की जांच भी शामिल है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की ओर से जारी आदेश के अनुसार मेयर गौरव गोयल समय-समय पर पार्टी की रीतिनीति के खिलाफ काम कर रहे थे। इनमें प्रमुख कारणों को गिनाते हुए बताया गया कि मेयर का निगम के भाजपा पार्षदों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। वहीं संपत्ति नवीनीकरण के मामले में 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगने को लेकर पुलिस जांच विचाराधीन है। इसके अलावा मेयर की ओर से पूर्व में विधायकों की ओर से घोषित कराई गई मुख्यमंत्री घोषणा में बाधा डाली गई।
वहीं पत्र में यह भी बताया गया है कि मेयर की ओर से निर्धारित दो माह में बोर्ड बैठक नहीं कराकर शहर के विकास में बाधा डाली जा रही है। यही नहीं मेयर पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व, प्रदेश संगठन के लिए बयानबाजी करने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए मनगढ़ंगत आरोप लगाए जाने का भी हवाला दिया गया है। पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
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निर्दलीय जीते थे, दो साल में पार्टी ने किया रुख्सत
रुड़की। मेयर गौरव गोयल रुड़की नगर निगम के चुनाव में भाजपा से बगावत कर मैदान में उतरे थे और शानदार जीत हासिल की। जीत के करीब आठ माह बाद मेयर ने देहरादून में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की मौजूदगी में फिर से पार्टी में वापसी की। दो सालों में विवादों की लंबी फेहरिस्त ने उन्हें फिर से पार्टी से रुख्सत करा दिया।
माना जा रहा था कि निर्दलीय जीत के बाद जब 20 जुलाई 2020 को उन्होंने भाजपा ज्वाइन की थी तो माना जा रहा था कि अब विवाद खत्म हो जाएंगे लेकिन दो साल से अधिक के कार्यकाल में उनका पहले निगम के अधिकारियों से छत्तीस का आंकड़ा चलता रहा। उसके बाद पार्षदों व मेयर के बीच गहरी खाई खुद गई। निगम की बोर्ड बैठकों में भी मेयर का जबरदस्त विरोध होने लगा।
करीब आठ माह पूर्व मेयर पर लीज संपत्ति नवीनीकरण के लिए 25 लाख की रिश्वत मांगने का आरोप लगा तो उनके लिए कठिनाइयां और बढ़ गई। जांच हुई तो वॉयस सैंपल भी ऑडियो के सैंपल से मिलती जुलती आई। इस प्रकरण की जांच अभी लंबित है। सूत्रों का कहना है कि रिश्वत प्रकरण ने पार्टी को मेयर के निष्कासन के लिए बड़ी वजह दी। इसके अलावा मेयर का पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल से विवाद हुआ और विधायक प्रदीप बत्रा से भी विवाद होते रहे।

मेयर पर छेड़खानी के आरोपों की दोबारा होगी जांच
रुड़की। कोर्ट ने मेयर पर मारपीट, छेड़खानी एवं धमकी देने के मामले में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट (एफआर) को स्वीकार नहीं करते हुए दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
पीड़िता का आरोप है कि मेयर ने अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल किया और पुलिस ने जरूरी साक्ष्यों को भी नहीं जुटाया। कोतवाली गंगनहर क्षेत्र निवासी एक महिला ने न्यायालय अपर वरिष्ठ सिविल जज/अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि 24 जनवरी 2021 को मेयर गौरव गोयल, राजीव गोयल, आलोक सैनी, सार्थक गोयल, मनोज कश्यप एवं अनुज सिंह ने उसके और उसके पति के साथ मारपीट की।
बाद में उसके पति को एक झूठे मामले में जेल भिजवा दिया। महिला ने आरोप लगाया था कि मेयर ने उसे अपने दफ्तर में बुलाकर छेड़खानी की थी। कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। बाद में कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया। इस मामले में पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगाकर फाइल को बंद कर दिया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि मेयर ने राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल किया है और पुलिस ने भी जरूरी साक्ष्य नहीं जुटाए। इस पर अपर वरिष्ठ सिविल जज ने गंगनहर कोतवाली प्रभारी को आदेश दिए हैं कि इस मामले की विवेचना कर कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।